हाथरस के सिकंदराराऊ में 121 लोगों की मौत इसलिए हो गई क्योंकि उन लोगों को बाबा के चरणों की धूल चाहिए थी लेकिन बाबा तो गायब हो गए। जैसे ही बाबा को पता चला की सैंकड़ों लोग भगदड़ के चलते मारे गए है तो बाबा भी अचानक से अंतर्धान हो चूका है। और हो भी क्यों ना। इतिहास को ही तो फॉलो करके चलना पड़ेगा। आज तक जितने भी इस तरह से हादसे हुए है उनमे जायदा मामलों में बाबाओं के गायब होने की ही खबरे सामने आती रही है।
क्या गलती थी?
भोले भाले लोग जो दूर दूर से अपने परिवार की खुशियों के लिए बाबा के दरबार में आये थे ताकि बाबा की कृपा उन पर रहेगी तो उनका परिवार हर समस्या से दूर रहेगा और घर में हर तरह की उन्नति होगी। लेकिन उनको क्या पता था की बाबा का ये सत्संग हो उनके परिवार को उजाड़ने वाला है।
कोई हरियाणा से आया था तो कोई राजस्थान से आया था लेकिन अब सब खत्म हो चूका है और बाबा भी अंतर्धान हो चुके है। इस हाडे में अभी तक 121 लोगों ने अपनी जान गवाई है और बहुत से लोग घायल हुए है। बताया जा रहा है की बाबा साकार हरि का सत्संग खत्म हो चूका था और सभी भक्त धीरे धीरे करके बहार की और जा रहे थे। तभी बाबा साकार हरि का काफिला जाने लगा तो उसके लिए पब्लिक को कुछ देर के लिए रोक लिया गया। सामने कीचड़ और कुछ गड्ढें होने के चलते आगे जो लोग चल रहे थे वे गिर पड़े।
पीछे से लोग धक्का लगा रहे थे आगे जाने के लिए। ऐसी बीच लोगों में होड़ इस बात को लेकर मच गई की बाबा का काफिला जा रहा है तो उनको बाबा के चरणों को धूल मिल जाए तो उनका जीवन सफल हो जायेगा। ऐसी के चलते वहां पर ऐसी भगदड़ मच्छी की उसमे औरतें और बच्चे तो कुचले ही गए साथ में बहुत सारे पुरुष भी चपेट में आ गए।
बाबा हो गए अंतर्धान
बाबाओं के अंतर्धान होने के बहुत सारे किस्से आपने सुने और पढ़े होंगे। ठीक उन्ही किस्सों की तरह से ही हाथरस के इस हादसे के बाद में बाबा भी भी चुपचाप अंतर्धान हो चुके है और उनकी तलाश की जा रही है। हालांकि कुछ सूत्रों के हवाले से ये भी खबर आ रही है की बाबा का पता चल गया है और वे अभी मैनपुरी के बिछवां वाले आश्रम में मौजूद है।
इस खबर के बाहर आने के बाद में बिछवा पुलिस मौके पर आश्रम में पहुंची लेकिन बाबा से मुलाकात नहीं हो पाई। सीओ भोगांव सुनील कुमार भी आश्रम में आये और बाबा की तलाश शुरू की गई। लेकिन बाबा से मुलाकात किसी की भी नहीं हो पाई है। बिछवा आश्रम में भी सैंकड़ों की संख्या में भक्त पहुंच गए है। मीडिया कर्मियों ने जब पुलिस से बाबा के बारे में जानकारी साहिल करना चाहा तो पुलिस की तरफ से भी कोई भी संतुष्ट करने वाला ब्याज नहीं दिया गया और बचते रहे।
कौन है संत भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरि
स्वयंभू संत भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरि बाकि के संतो से बिलकुल अलग है और जैसा की संत का नाम सुनते ही दिमाग में केसरिया रंग सामने आ जाता है ठीक इसके उलट है बाबा साकार हरि। सूटबूट में प्रवचन करने वाला संत भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरि पहले उत्तर प्रदेश पुलिस में हेड कांस्टेबल हुआ करते थे जहां से 18 साल की नौकरी के बाद में वीआरएस ले लिया था। पुलिस के तौर तरीके बाबा को अच्छे से आते है। बाबा अपने भक्तों के सामने ये दावा अक्सर करते रहते है की नौकरी से वीआरएस लेने के बाद में उनको भगवन ने साक्षात् दर्शन दिए है। स्वयंभू संत भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरि पटियाली गावं के रहने वाले है जो किन यूपी के कासगंज में है।